मथुरा की परिक्रमा
प्रत्येक एकादशीऔर अक्षयनवमी को मथुरा की परिक्रमा होती है।
देवशयनी और देवोत्थापनी एकादशी को मथुरा-गरुड गोविन्द्-वृन्दावन् की एक साथ परिक्रमा की जाती है।
यह परिक्र्मा २१ कोसी या तीन वन की भी कही जाती है। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को रात्रि में परिक्रमा की जाती है, जिसे वनविहार की परिक्रमा कहते हैं।
स्थान-स्थान में गाने-बजाने का भी प्रबंध रहता है। श्री दाऊजी ने द्वारिका से आकर, वसन्त ऋतु के दो मास व्रज में बिताकर जो वनविहार किया था तथा उस समय यमुनाजी को खींचा था, यह परिक्रमा उसी की स्मृति है।
![]() |
Mathura |
Hmra brij sbse alag h