राम नवमी कब है ?
राम नवमी हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है. यह पर्व हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आता है. इस बार 2020 में राम नवमी 2 अप्रैल को है.राम नवमी तिथि प्रारंभ: 2 अप्रैल 2020 को सुबह 3 बजकर 40 मिनट से
राम नवमी तिथि समाप्त: 3 अप्रैल 2020 को सुबह 2 बजकर 43 मिनट तक
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Ram Navami |
क्यों मनाई जाती है राम नवमी
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था, इसलिए हर वर्ष इस तिथि को राम नवमी या राम जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। आज के दिन अयोध्या समेत पूरे भारत में राम नवमी का उत्सव और आनंद होता है। भगवान विष्णु ने रावण के वध के लिए त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ के घर राम अवतार लिया। राजा दशरथ की बड़ी पत्नी कौशल्या ने राम को जन्म दिया।राम नवमी व्रत एवं पूजा विधि
राम नवमी के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लिए उपवास रखते हैं. घरों में रामलाल को पालने में झुलाया जाता है इसी दिन चैत्र नवरात्रि का नौवां यानी कि अंतिम दिन होता है जिसका समापन कन्या पूजन के साथ किया जाता है. कहा जाता है कि राम नवमी के दिन भगवान राम की विधि-विधान से पूजा करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अब भगवान राम का नाम लेते हुए व्रत का संकल्प लें.
- अब घर के मंदिर में राम दरबार की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना कर उसमें गंगाजल छिड़कें.
- अब तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर रखें.
- फिर भगवान श्रीराम का अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें।
- अब रामलला की मूर्ति को पालने में बैठाएं.
- अब रामलला को स्नान कराकर वस्त्र और माला पहनाएं.
- इसके बाद रामलला को फल, मेवे और मिठाई, बर्फी, केसर समर्पित करें.
- खीर का भोग लगाना अति उत्तम माना जाता है.
- अब रामलला को झूला झुलाएं.
- इसके बाद धूप-बत्ती से उनकी आरती उतारें.
- आरती के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें.
- अब नौ कन्याओं को घर में बुलाकर उनको भोजन कराएं. साथ ही यथाशक्ति उपहार और भेंट देकर विदा करें. ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें
- इसके बाद घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटकर व्रत का पारण करें.
राम नवमी के दिन व्रत रखने और विधि विधान से पूजा करने पर व्यक्ति की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।
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