बीमार होने के बाद भी करती रहीं पढ़ाई
उन्होंने 10वीं कक्षा में 93.4% नम्बर हासिल किए, और गणित और विज्ञान में 100 अंक प्राप्त किए थे। इससे उनका नाम मेरिट लिस्ट में भी आया था। 12वीं कक्षा में उनको Rheumatic बुखार आ गया था जिसके कारण उन्हें 15 किलोमीटर दूर डॉक्टर को दिखाने जाना पड़ता था। लेकिन ऐसी हालत में भी उन्होंने पढ़ाई से ध्यान नहीं हटाया।
कॉलेज में हीन भावना से हुई ग्रस्त
12वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने स्टेट इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा को भी पास किया और भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन्स में पढ़ाई शुरू की। इस कॉलेज में अधिकतर बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़े हुए थे, लेकिन उन्होंने हिन्दी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की थी जिसकी वजह से उनकी अंग्रेज़ी कमजोर थी। इस वजह से वो कॉलेज में हीन भावना की शिकार भी हुई थी लेकिन बाद में उन्होंने अपनी अंग्रेज़ी को भी इंप्रूव किया।
नींद में भी करने लगी थी इंग्लिश में बातें
सुरभि अपनी अंग्रेज़ी सुधारने के लिए हर रोज़ 10 वर्ड मीनिंग याद करती थीं। यह मीनिंग याद रखने के लिए वो दीवारों पर भी मीनिंग लिख देती थी। इंग्लिश सीखने का जुनून उन पर इतना सवार हो गया था कि वह सपनों में भी इंग्लिश में ही बात करती थी।
कई प्रतियोगी परीक्षाएँ की पास
कॉलेज प्लेसमेंट से सुरभि को Tata Consultancy Services में जॉब मिल गई थी। लेकिन वो कुछ और करना चाहती थी इसलिए उन्होंने जॉब ज्वाइन नहीं की। फिर उन्होंने ISRO, BARC, GTE, MPPSC, SAIL, FCI, SSC और दिल्ली पुलिस जैसे बहुत सारे कंपटीशन एग्जाम दिए और पास हुईं।
फिर वर्ष 2013 में उन्होंने IES परीक्षा निकाली, इस परीक्षा में उनकी फर्स्ट रैंक आई थी। लेकिन उनका सपना था IAS बनना। इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। और 2016 में IAS की परीक्षा पास करके IAS ऑफिसर बन गईं।